संपादक की कलम से ✍🏻:- आरटीआई कार्यकर्ता पर ,, इंदौर कलेक्टर की कार्रवाई की हो रही है फजीहत ,,,? सूचना आयुक्त ने भी ट्वीट कर कार्यवाही पर उठाये सवाल

सूचना के अधिकार से भ्रष्ट अधिकारियों के कारनामो के पोल खुलते रहे है ,, पारदर्शिता लाने के लिए यह कानून 2005 में लागू किया गया है पर आज भी इस कानून का सही पालन नही होता न ही अधिकांश आवेदनों में एक्ट के मुताबिक जनसूचना अधिकारी द्वारा सही तरीके से जवाब दिया जाता है

किसी भी भ्रष्ट मुद्दे पर जानकारी मांगना अब खतरे से खाली नही रह गया है अपने कारनामे छुपाने के लिए ऐसे भ्रष्ट अधिकारी किसी भी हद तक जा कर RTI कार्यकर्ता को परेशान करने में कोई कसर नही छोड़ते ,, हाला की इस बात से भी इंकार नही किया जा सकता कि चंद तिकड़म बाजो द्वारा RTI एक्ट के दुरुपयोग भी किया जाता है

पर सबसे बड़ी बात ये है कि अगर किसी प्रकार का गोलमाल या गड़बड़ी नही हुई है तो ऐसे तिकड़म बाज से संबंधित अधिकारियों को डरने की आवश्यकता क्या है ,,,?
अगर सब सही है पारदर्शिता हैं और अधिकारी पाक साफ है तो जानकारी देने से आखिर कतराते क्यो है ,,,?

ऐसा एक विचित्र मामला इंदौर से सामने आया है जिसकी चर्चा पूरे देश भर में हो रही है

◆ जाने क्या है मामला ,,,?

सोमवार को इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने टीएल बैठक में आर.टी.आई. कार्यकर्ता के नाम पर अधिकारियों और कर्मचारियों को जानकारी मांगने परेशान करने वसूली करने के आरोप में (संजय मिश्रा) नामक व्यक्ति के खिलाफ की एफ. आई. आर. दर्ज कराने के निर्देश अपर कलेक्टर अभय बेडेकर को दिए थे

इस आदेश के बाद कलेक्टर की कारवाई सवालों के घेरे में आ गई और पूरे देश मे चर्चा हो रही है

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◆ कलेक्टर के कार्यवाही पर राज्य सूचना आयुक्त का ट्वीट

राज्य के सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने ट्वीट कर लिखा है “ब्लैकमेल करना आपराधिक कृत्य।
कार्यवाही होनी चाहिए पर साथ में आरटीआई की जिस जानकारी के लिए ब्लैकमेल किया जा रहा है, उस जानकारी को प्रशासनिक पारदर्शिता के मापदंड के तहत पब्लिक प्लेटफॉर्म पर डाल देना चाहिए क्योंकि सवाल अक्सर यह भी उठते हैं
कि ब्लैकमेल किस किस्म के अधिकारी होते हैं।” राहुल सिंह ने यह भी लिखा है कि “इस बात से इंकार नहीं कि कुछ चुनिंदा लोग आरटीआई का दुरुपयोग करते हैं।
पर हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि करोड़ों अरबों रुपए के घोटालों का पर्दाफाश भी इसी आरटीआई से हुआ है। आरटीआई देश का एकमात्र कानून जिसके दम पर अंतिम पंक्ति का व्यक्ति बराबरी में बैठकर प्रथम पंक्ति के साहब से हक से जानकारी मांगता है

मुद्दे की बात तो यह है कि RTI एक्ट होने के बाद भी बड़े बड़े घोटाले को अंजाम दिया जा रहा ,,, बहुत सारे भ्रष्टाचार के मामलों की जानकारी RTI के माध्यम से विभाग के फ़ाइल से निकल कर मीडिया व जनता तक पहुचता है
ऐसे में RTI कार्यकर्ता पर इस तरह की कार्यवाही अधिकारीयो के मिलीभगत की ओर साफ इशारा करते हैं
ऐसे में RTI को दबाने की कोशिश करने पर कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए