देखिये गरियाबंद जिले के खास ऐतिहासिक प्राचीन शिव मंदिर, आस्था से भरपूर, जिसके दर्शन से जीवन के सब बाधा हो जाये दूर..शिवरात्रि पर अद्भुत मान्यता

तेनसिंग मरकाम

गरियाबंद शिवरात्रि स्पेशल : आज हम आप लोगों को गरियाबंद जिले के ऐसे शिव मंदिरों की परिक्रमा करवाएंगे जिसके बारे में आप शायद ही जानते होंगे इन में से कुछ शिवलिंग घने जंगलों पहाड़ों के मध्य विराजित है जिसकी मान्यता सुनकर आप भी चौंक जाएंगे शिवरात्रि के इस मौके पर दूर-दूर से लोग इनकी दर्शन के लिए खींचे चले आते हैं और हर देवालय के पीछे एक पुरातन कहानी भी छुपा हुआ है जो इन शिव मंदिरों के रहस्य को और भी ज्यादा गहरा बना देता है।

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में आस्था और विश्वास भक्ति भावना का विशाल संगम सदियों से रहा है हर तीज त्यौहार पर लोग भगवान शिव को याद करके उनका पूजा अर्चना करते हैं साथ ही प्रत्येक सोमवार को बड़ा ही हर्षोल्लास के साथ भोले बाबा के जयकारे लगाते हुए पूजा पाठ करते हैं और ऐसे में अगर शिवरात्रि का पर्व आ जाए तो इसमें और भी चार चांद लग जाता है तो आइए जानते हैं हमारे गरियाबंद जिले के ऐसे अद्भुत और रहस्यमयी, आस्था और विस्वास से जुड़ी खास शिव मंदिरों और शिवलिंगों के पीछे की कहानी और उनके महत्व के बारे में।

शुरुआत करते हैं धर्म नगरी राजिम से कुलेश्वर महादेव मंदिर, राजिम के त्रिवेणी संगम पर नदी के बीचों-बीच स्थित यह मंदिर काफी पुरातन है।

1 : राजिम के कुलेश्वर महादेव

राजीवलोचन के साथ राजिम में ‘कुलेश्वर महादेव मन्दिर’ भी प्रमुख है, जो की नौवीं शताब्दी में स्थापित हुआ था। यह मन्दिर महानदी के बीच में द्वीप पर बना हुआ है। इसका निर्माण बड़ी सादगी से किया गया है। जब राजिम में मांग पूर्णिमा मेला शुरू होता है वहीं कुलेश्वर महादेव जी के मंदिर पर शिवरात्रि के पश्चात समाप्त होता है। देश-विदेश से लोग कुलेश्वर महादेव जी के दर्शन के लिए पहुंचते हैं और शिवरात्रि में बड़ा ही धूमधाम से भगवान भोलेनाथ के दरबार सजता है लोग महादेव भोलेनाथ की जय कार लगाते हैं बड़ा ही सुंदर है और विहंगम दृश्य देखने को मिलता है।

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2 : फिंगेश्वर फ़णीकेश्वर नाथ महादेव

यह मंदिर गरियाबंद जिले के फिंगेश्वर पर स्थित है इसकी दूरी राजिम से लगभग 16 किलोमीटर होता है बताया जाता है कि कुलेश्वर महादेव मंदिर के समकालीन में ही इस मंदिर का भी निर्माण हुआ था। रोचक तथ्य यह है कि इस मंदिर का निर्माण छः मासी बताया जाता है। प्राचीनकाल में यहां पर वनवास के वक्त राम सीता लक्ष्मण महादेव भोलेनाथ जी के पूजा किये थे ऐसी मान्यता है। शिवरात्रि में काफी तादाद पर यहां श्रद्धालु आते हैं और महादेव भोलेनाथ जी की पूजा पाठ बड़े ही धूमधाम के साथ होता है।

3 : भूतेश्वर नाथ महादेव गरियाबंद

विश्व के सबसे बड़े शिवलिंग गरियाबंद जिले के भूतेश्वर महादेव अपने आप में भव्यता समाये हुए सदियों से विराजमान है और भक्तों की मुरादे को पूरी कर रहे हैं। श्रवण के महीना हो गया शिवरात्रि लोगों की भीड़ हमेशा भरा रहता है। देश विदेश के लोग भूतेश्वर नाथ महादेव जी के दर्शन के लिए आते हैं खासकर यहां पर लगने वाला मेला जिससे कि इसकी खूबसूरती को और भी बढ़ा देता है शिवरात्रि में यहां सैकड़ों हजारों की तादात पर महादेव भोलेनाथ जी के दर्शन के लिए भक्त आते हैं और भूतेश्वर नाथ महादेव जी अपने भक्तों की मनोकामनाये को पूरी कर रह है।

4 : टंकेकेश्वर महादेव छुरा

टंकेकेश्वर महादेव गरियाबंद से लगभग 40 किलोमीटर और छुरा से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यह मंदिर वन ग्राम टोनहीडबरी पर विराजमान है। इसके पीछे कई कथा कहानियां है बताया जाता है यह शिवलिंग जमीन की खुदाई से लोगों को प्राप्त हुआ था इस शिवलिंग को ले जाने की कई कोशिश किया गया था पर नहीं ले जा पाए जिससे उसी स्थान पीपर के पेड़ के नीचे स्थापना किया गया। तद्पश्चात मंदिर बनाया गया शिवरात्रि पर इस मंदिर में भी बड़े ही धूमधाम से शिवरात्रि पर्व मनाया जाता है।

5 : तानेश्वर महादेव फिंगेश्वर

यह मंदिर फिंगेश्वर से तकरीबन 10 किलोमीटर की दूरी पर टेवारी गांव में स्थित है तानेश्वर महादेव महादेव जी का यह शिवलिंग काफी प्राचीन माना जाता है और इस प्राचीन शिवलिंग को सराई पेड़ के नीचे पाया गया था बताया जाता है यहां के मालगुजार इसको निकालने की बहुत कोशिश की थी पर जमीन से नहीं निकाल पाए दूसरी मान्यता यह है की जब-जब पुजारी इस मंदिर पर महादेव जी को पूजा करने आते हैं शिवलिंग अपने आप ही 2-3 इंच जमीन से ऊपर आ जाते हैं। शिवरात्रि में यहां पर भी भक्तों का बड़ा ही आस्था और विश्वास है स्थानीय लोग बड़े ही धूमधाम से भोलेनाथ जी की पर्व को मनाते हैं और मंगल कामना करते हैं।

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6 : सीधेश्वर महादेव भाठीगढ़ मैनपुर

सिद्धेश्वर महादेव गरियाबंद जिले के विकासखंड मैनपुर से करीब 2 से 3 किलोमीटर भाठीगढ़ पर स्थित है भाठीगढ़ में कई मान्यता ऐतिहासिक पुरातन कथा कहानियां स्थानीय लोगों की जुबानी सुनने को मिलता है। वही पैरी उद्गम स्थल भाठीगढ़ प्रसिद्ध है यहां सावन और शिवरात्रि में भोले बाबा के भक्त दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं और कई मन्नतें महादेव भोले जी को मांगते हैं यहां श्रावण और शिव रात्रि में शिव भक्तों का भीड़ बना रहता है इसके अलावा कार्तिक पुन्नी मेला और मांग पूर्णिमा में इसकी रौनक और भी ज्यादा बढ़ जाता है।

7 : छाता पखान अमलीपदर

तेल नदी के तट पर स्थित है यह शिवलिंग लोगों के आस्था और विश्वास का केंद्र है स्थानीय लोगों बड़े ही हर्षोल्लास के साथ महादेव भोलेनाथ जी का लड्डू नुमा शिवलिंग की पूजा करते हैं। शादी वर विवाह हो या अन्य मांगलिक कार्य लोग महादेव भोलेनाथ जी की दर्शन की बाद ही शुरु करते हैं कहा जाता है इनके दर्शन के बाद से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती है तेल नदी के तट पर स्थित होने से इसकी खूबसूरती और ज्यादा बढ़ जाता है।

यहां श्रावण के महीने में दूर-दूर से कांवरिया जल चढ़ाने भी आते हैं इसके अलावा शिवरात्रि में और भी ज्यादा भव्यता देखने को मिलता है लोग भोलेनाथ जी के दर्शन के लिए शिवरात्रि के पर्व में शामिल होने के लिए सुबह से ही पूजा-पाठ शुरू हो जाता है।

8 : ऋषि झरन देवभोग

छत्तीसगढ़ और उड़ीसा के बॉर्डर के जंगलों में स्थित है ऋषि झरन यह शिवलिंग पत्थरों और चट्टानों के मध्य में स्थित है यहां तक पहुंचना बड़ा ही दुर्गम लगता है फिर भी भोले के भक्त शिवरात्रि के दिन भोलेनाथ जी के जयकारा लगाते हुए पैदल चले जाते हैं।

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ऊंची नीची पहाड़ियों को पार करते हुए महादेव जी के दर्शन संभव हो सकता है प्राकृतिक के गोद में बैठा यह ऋषि झरन पर्यटन की दृष्टि पर भी अद्वितीय है शिवरात्रि के दिन में स्थानीय लोग भंडारा का आयोजन भी करते हैं और गाजे बाजे के साथ पूरा दिन भोलेनाथ जी की पूजा इन पहाड़ियों पर किया जाता है। बड़ा ही सुंदर और मनोरम दृश्य होता है पहाड़ियों के बीच महादेव भोलेनाथ जी की जय कारा गूंजता रहता है।

आपको बताए गए सभी भोलेनाथ जी की मंदिरों के रहस्यों महत्वों, मार्मिक दर्शन और उनके पीछे की कथा कहानियां यह सब संभव हो पाया है गरियाबंद जिले के दो बड़े ब्लॉग यूट्यूबर नागमणि देवांगन(hamar gariaband) और तेनसिंह मरकाम(today blogs) के माध्यम से जानकारी मिला है।

इन्होंने गरियाबंद जिले के अनेक जगहों पर जा जाकर शिव मंदिरों को प्रचार प्रसार किया है साथ ही इसकी मान्यता और महत्व को पूरी दुनिया को बताया है। इसके अलावा यूट्यूब के माध्यम से इन्होंने गरियाबंद जिले की लोक कला संस्कृति प्राकृतिक सौंदर्य तथा वनवासियों के जन जीवन जीवन यापन के हर एक पहलुओं को बारीकी से दिखाया है जो कि काफी काबिले तारीफ है।