फाइलों में उड़ान भर्ती योजना ,,, धरातल पर है पंचर ,,, कमार परिवार को नहीं मिल रहा योजना का लाभ।

देवेंद्र सिंह राजपूत

◆ आवास , बिजली , रोजगार , शिक्षा के लिए तरसता बिसनाथ कमार का परिवार

आज हम आपको प्रशासनिक उपेक्षा का जीता जागता उदाहरण बताने जा रहे है । अनदेखी का शिकार इस परिवार की हालत को देख कर , जान कर हर किसी का दिल पसीज जाए ।
फिर भी कई वर्षों से प्रशासन की उपेक्षा का दंश झेल रहे , अधेड़ बिसनाथ कमार , आज भी उम्मीद लगाए बैठे है।
कि कोई तो उसका हाल चाल जानने , उनकी बेबसी को देखने आएंगे ,, शासन की कुछ योजनाओं का लाभ दिलवाने उन तक मसीहा बन कर पहुचेंगे ।

ये दास्तां है गरियाबंद जिले के मैनपुर वि.खण्ड से लगभग 45 किलोमीटर दूर ग्राम गौरगाँव के निवासी बिसराम कमार और उनकी 70 वर्षीय वृद्ध मां बसंतीन बाई और 16 वर्ष की भांजी राजबाई की है ।

इस परिवार के पास अपना मकान तो दूर की बात एक झोपड़ी तक नही हैं,,वहीं ऐसे हालात में विगत 20 वर्ष से यह परिवार जीवन यापन करने को मजबूर है।

बाड़ी में लकड़ी के खंभे से फटे पुराने साड़ी को लपेट कर झोपड़ी नुमा आशियाना बनाकर जिंदगी काट रहे है। ऐसी स्थिति में बारिश और ठंड के दिनों में किस दयनीय हालत से गुजरना पड़ता होगा आप समझ सकते है। सर छुपाने के लिए खप्पर नही होने के कारण आश्रित भांजी को रात बिताने के लिए रोज पड़ोस के घर में आसरा लेना पड़ता है।

इनके पास न बिस्तर है और न खाना बनाने और खाने के लिए पर्याप्त बर्तन। घर मे बाकी जरूरत के समान के बारे में तो पूछिए ही मत।

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ये स्थिति को देख कर इंसान का दिल फुट पड़े ,, पर इसी हालात में आज भी गुजर बसर करने को है मजबूर बिसनाथ का परिवार ,,, माँ बसंतीन बाई को मिलने वाली 350 रुपये की पेंशन और राशन के रूप में मिलने वाला 30 किलो चावल जीने के लिये पेट भरने का सहारा हैं , बिसनाथ बाँस के बर्तन बना कर बेचता है
जिससे कभी कभार पचास , सौ , की आमदनी हो जाती हैं जिससे अपने चिलम और सब्जी भाजी का खर्च चला लेता है।

न आज का कोई ठिकाना न कल का कोई सहारा और न ही कोई पूछने वाला है बस ऐसे कट रही है जिन्दगी-:

माता पिता के गुजर जाने बाद एक मात्र सहारा नानी और मामा के साथ रहने वाली भांजी राजबाई
सर पर छत नही होने और परिवार की दयनीय हालत के कारण 8 वी के बाद पढ़ाई छोड़ कर मजदुरी करने लगी।

◆ नही मिला इस योजना लाभ

शासन प्रशासन भले ही बड़े-बड़े दावों के साथ ही योजनाओं का ढोल पिटे पर इस परिवार को ,, उज्जवला गैस योजना , आयुष्मान कार्ड , जनधन खाता , श्रम कार्ड , रोजगार गारंटी कार्ड यहां तक कि आधार कार्ड तक नही बन पाया है

◆ आगे की पढ़ाई करना चाहती है राजबाई

राज बाई ने बताया कि उसे पढ़ने में बहुत रुचि है परंतु घर की परिस्थिति और मकान नहीं होने के कारण वह आगे की पढ़ाई नहीं कर पा रही है पढ़ लिखकर कुछ बनना चाहती है पर हालात की मजबूरी के कारण पढ़ाई छोड़कर घर को मदद करने के लिए मजदूरी कर रही है अत्यंत ग्रामीण क्षेत्र होने के कारण मजदूरी भी रोज रोज नहीं मिलता।
उम्र कम होने के कारण रोजगार गारंटी योजना का काम भी नही कर सकती है

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◆ प्रथम इकाई ग्राम पंचायत से नहीं मिला कोई सहारा

ग्राम पंचायत गौरगांव में वैसे तो महिला सरपंच है पर यहां पर महिला सरपंच नाम मात्र के लिए है यहां भी पति नेतागिरी करते नजर आते हैं और सचिव साहब कभी कभार दर्शन होता है पंचायत में मूलभूत व 14 वित्त की राशि से भरपूर आती है और उस योजना से ऐसे बेसहारा परिवार को मदद किया जा सकता है पर सचिव और सरपंच ने अब तक कोई खास मदद नही किया।

◆ कहा है समाज की अगुवाई करने वाले नेता और परियोजना के सदस्य

कमार समुदाय के लिए परियोजना में लाखो का बजट आता है।
इस परियोजना में शासन से कमार समाज के अध्यक्ष सहित सदस्यों की टीम नियुक्त है
जिनका नैतिक जिम्मेदारी ऐसे जरूरत मंद परिवार को शासन के योजनाओं से जोड़ना पिछड़े हुए कमार समाज के लोगो के हित के लिए कार्य करना होता है ,,, इसके बावजूद अब तक इस परिवार से कोई भी मिलने तक नहीं पहुचे है।

◆ इस मामले में क्या कहते है जिम्मेदार अधिकारी

आप बता रहे ऐसी स्थिति है तो पहुच कर संभव मदद करेंगे योजनाओं से जोड़ कर लाभ दिया जाएगा ।

बी.के. सुखदेवे,सहायक आयुक्त, गरियाबंद