डीएसपी नंदनी ठाकुर सत्य खबर के माध्यम से बेटियों से कह रहीं माता-पिता के लिए कुछ बनकर दिखाएं, सपने देखें, संघर्ष करें, सफलता जरूर मिलेगी तीन नौकरियां छोड़ डीएसपी बनने का सपना किया पूरा।

सूरजपुुर कौशलेन्द्र यादव



सूरजपुुर  : जिले में पदस्थ डीएसपी नंदनी ठाकुर ने आज सत्य खबर के माध्यम से बेटियों से कहा कि आज तक उनके माता पिता ने जो संघर्ष किया है उसके बदले में उन्हें कुछ बनकर जरूर लौटाएं। माता पिता का सिर फक्र से ऊंचा उठ जाए ऐसा कुछ कर जाएं। किसी भी फील्ड में जाएं और अपने मेहनत के दम पर छा जाएं। नियमित मेहनत जारी रखें, सपने जरूर देखें, मुकाम देर से ही सही लेकिन हासिल जरूर होगा।



नंदनी ठाकुर की कहानी भी प्रेरणा देने वाली है। डीएसपी नंदिनी कहती हैं मेरी मॉ शिक्षक हैं उन्हीं से मार्गदर्शन मिला हैं। परिवार में  खेलते-कूदते बचपन बीता। जैसा भाई खेला करते वैसा ही खेल मैं भी खेला करती दीवार से ऊंची छलांग लगाती, भाइयों को दौड़ा दौड़ाकर थकाती। बचपन से ही पुलिस और प्रशासनिक सेवा की छवि परिवार में बनी रही। माता-पिता ने भी वैसी ही परवरिश दी, कभी कोई भेद नहीं किया।



नंदिनी ठाकुर 2019 बैच की राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी है, वे बताती है कि सूरजपुुर जिले में पहली पोस्टिंग है डीएसपी पद के लिए इसके पूर्व तीन नौकरी छोड़ चुकी हूं, जिनमें पटवारी परीक्षा में राजनांदगांव जिले में टॉपर भी थी, ट्रेजरी ऑफिसर व तहसीलदार राजनांदगांव रह चुकी हूं मुझे अपने मम्मी से काफी ज्यादा मार्गदर्शन मिला मम्मी टीचर हैं मैंने कभी नहीं सोचा कि कोई भी सर्विस छोटी या बड़ी होती है।

● डीएसपी बनने का क्यों ख्याल है आया।

मुझे डीएसपी बनना, समाज की सेवा के लिए वर्दी का प्रति मुझे काफी लगाव रहा और महिलाओं के प्रति जो अपराध हो रहे हैं, दिन प्रतिदिन प्रताड़ित हैं उनका शोषण हो रहा है उसे रोकने का ख्याल था कि पुलिस में आना है मेरे परिवार में भी कोई पुलिस विभाग से नहीं थे एक कमी खल रहा था, महिलाओं के विरूद्ध शोषण को लेकर काफी पीड़ा होती थी इसमें सुधार एवं महिलाओं की सुरक्षा के लिए मैंने पुलिस विभाग का चयन किया और मुझे 2019 में सूरजपुर जिले में डीएसपी पद के लिए पोस्टिंग हुआ है।

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● सूरजपुर के मौजूदा हालात में बेटियों के लिए क्या किया जाना चाहिए?

यहां बेटियों के लिए बहुत अच्छा माहौल मुझे दिखता है, लेकिन जरूरत बस उन्हें बेहतर करने के लिए प्रेरित करने की है। इस पर स्कूल स्तर पर ही काम होना चाहिए। टीचर्स ही देखें कि कौन से स्टूडेंट में कैसा टैलेंट है और उसे आगे दिशा दें उसका मार्गदर्शन करें, उसे मोटिवेट करें। साथ ही माता-पिता की भी जिम्मेदारी है कि वे अपनी बेटियों को बेहतर करने के लिए प्रेरित करें।



बेटियों के लिए यह माइंड सेट खत्म करना होगा कि उनकी बस शादी करनी है, माता पिता पहले उनके करियर के बारे में सोचें। मुझे सूरजपुर जिले में आए डेढ़ माह हुआ है मैंने यहां देखा है कि जिले की पुलिस महिलाओं की सुरक्षा लेकर काफी संजीदा है, उनकी सुरक्षा एवं सशक्तिकरण को लेकर काफी प्रयासरत् है। महिलाओं-बालिकाओं की सुरक्षा एवं उन्हें आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देने के लिए हिम्मत कार्यक्रम चलाया जा रहा है इस कार्यक्रम से बालिकाएं खुद की सुरक्षा के लिए सशक्त बन रही है।



स्कूली छात्र-छात्राओं को आने-जाने के दौरान किसी प्रकार की समस्या, छेड़खानी न हो इसके लिए पुलिस का टीम रक्षक का गठन किया गया है जो नियमित तौर पर स्कूल-कालेजों व शहर में पेट्रोलिंग कर अपनी सतत मौजूदगी बनाए हुए है। छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा तैयार किए गए अभिव्यक्ति ऐप जिसमें महिला सुरक्षा, तत्काल पुलिस सहायता उपलब्ध कराने एवं महिलाओं के अधिकार सहित विभिन्न जागरूकता की जानकारियों से सुज्जित है उसके बारे में नियमित तौर पर स्कूल-कालेजों में जाकर छात्राओं को इसके बारे में जागरूक किया जा रहा है।

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● अंत में महिला दिवस पर क्या संदेश देना चाहेंगी?

सभी महिलाओं और बेटियों को आज के दिन की शुभकामनाएं देना चाहूंगी। मैं आज के दिन के लिए बस यही कहूंगी कि बेटियां अपने माता-पिता के सपनों को पूरा करें, बेटियां यह सोचे कि उनकी मां ने जो सपना अपने लिए देखा था उसे कैसे पूरा किया जा सकता है। हर मां कुछ ना कुछ जरूर करना चाहती थी लेकिन हालात ने उसका साथ न दिया हो तो बेटिया यह सोचें कि वे अपनी मां का सपना कैसे पूरा कर सकती है। एक माँ के लिए इससे बड़ा कुछ नहीं हो सकता।