धान खरीदी केंद्र का निरीक्षण करने पहुंचे थे जिला पंचायत सभापति,

सूरजपुर कौशलेन्द्र यादव

◾️धान खरीदी केंद्र में किसानों से करा रहे हमाली, जिपं सभापति ने समिति प्रबंधक को लगाई फटकार

सूरजपुर :-जिला पंचायत सभापति बिहारीलाल कुलदीप ने धान खरीदी केंद्र का निरीक्षण करने पहुंचे। यहांउन्होंने किसानों से चर्चा की तो पता चला कि पूरा काम किसानों से कराया जा रहा है। अगर किसान मजदूरों से काम कराते हैं तो उन्हें प्रति क्विंटल धान का 30 रुपए देना पड़ता है। जिला पंचायत सभापति को किसानों ने बताया कि खरीदी केंद्र में न तो पीने के लिए पानी का व्यवस्था है और ना ही दवा इलाज के लिए कोई भी सुविधा है। किसानों ने बताया कि वे यहां खुद हमाली का काम कर रहे हैं। इस पर उन्होंने कहा कि कलेक्टर से बात कर जल्दी समस्या का समाधान किया जाएगा। इस दौरान उन्होंने समिति प्रबंधक को फटकार भी लगाई और खरीदी केंद्र में पेयजल की व्यवस्था करने के निर्देश दिए।

◾️छोटे किसानों को हो रहा नुकसान

धान खरीदी केन्द्रों में मजदूरों के नाम पर किसानों से अतिरिक्त रुपए वूसली किए जाने से विशेष कर छोटे किसानों को ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है। छोटे किसान ट्रैक्टर व अन्य साधन से धान बेचने खरीदी केन्द्र में पहुंचते हैं। ट्रांसपोर्टिंग चार्ज के साथ-साथ खरीदी केन्द्रों में मजदूरी दर भी अधिक देना पड़ रहा है। इससे छोटे किसानों को ज्यादा नुकसान हो रहा है।

◾️खरीदी केंद्र में बिचौलियों का बोलबाला

गौरतलब है कि सूरजपुर मुख्यालय के धान खरीदी केंद्र में बिचौलियों का बोलबाला है। जो किसान बिना बिचौलियों के सीधे खरीदी केंद्र में अपनी धान बेंचने की कोशिश करता हैं उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। धान खरीदी केंद्र में किसानों का कहना है कि खरीदी केन्द्र की बजाय स्थानीय व्यापारियों को धान बेंचना ज्यादा बेहतर है। जहां न तो पैसा देना पड़ता है और न ही पल्लेदारी करनी पड़ती है। बताया जा रहा है कि खरीदी केंद्र में धान वजन करने के लिए तराजू के अलावा बोरी सिलाई के लिए मशीन तक उपलब्ध नहीं है।

इसे भी पढ़े :  कांकेर पुलिस को मिली बड़ी सफलता दो लग्जरी कारों से 20 पेटी अवैध शराब जप्त आरोपी गिरफ्तार

धान बेचने वाले किसानों से वहां पल्लेदारी तक कराई जाती है। इन सब से प्रताड़ित हो चुके एक किसान ने बताया कि धान खरीदी केंद्र में किसानों को 4 से 5 दिनों तक कड़ाके की ठंड में बारदाना मिलने के इंतजार में नम्बर लगा कर रुकना पड़ता है। जब बारदाना मिल जाता है तो उसमें धान पलटी करना, वजन करना एवं सिलाई कर बोरियों की छल्ली लगाने के बाद ही किसान फुर्सत की सांस लेता है। ये सारा काम खुद किसान को विवश होकर करना पड़ रहा है। नहीं करने पर उन्हें मुंह मांगा पैसा देना पड़ता है। इसके बाद भी धान वजन करने वाले तराजू व बोरा सिलाई करने वाली मशीन का किराया अलग से देना पड़ता है। बताया जा रहा है कि बिचौलियों द्वारा रात के समय खरीदी केंद्र में धान लाया जाता है। उनका न कोई नम्बर लगता है न ही उन्हें किसी सामान का इंतजार करना पड़ता है। सुबह होते ही उनकी धान समिति द्वारा बिना रोकटोक के जमा करा लिया जाता है।