गरियाबंद :- तीन साल बाद हो रहे मड़ई-मेले का पहला दिन आस्था और मनोरंजन के लिए उमड़ा भीड़ ,,, देखे मेले की खास झलक … पैरी लहर सत्य खबर पर

कुंजबिहारी ध्रुव ब्यूरो चीफ गरियाबंद

आज गरियाबंद का माहौल देख कर हर किसी दिल गदगद हो उठा
वैसे तो हमारे छत्तीसगढ़ में मड़ई महोत्सव या मेला सांस्कृतिक एक प्रमुख त्योहार के रूप में मनाया

यह त्यौहार न केवल मजेदार और मनमोहक बनाता है बल्कि हमारे राज्य की समृद्ध परंपरा और संस्कृति को भी दर्शाता है

आज से गरियाबंद में चार दिवसीय मड़ई और चंडी मेले का शुभारम्भ हुआ। चंडी माता की परिक्रमा और मनोकामना पूर्ति के बाद हुई मड़इ की शुरुवात गरियाबंद की मड़ई का क्षेत्र में विशेष महत्व है।

क्योंकि यहां ना केवल गरियाबंद, सतधार, पारागांव, बम्हनी मरोदा और छिन्दोला हसौदा गांव से भी आंगा देवताओं का आगमन होता है। फिर सभी देवताओं की एक साथ सवारी निकलती है।

जिसके दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोग गरियाबंद मड़ई में पहुचे हुए थे ये लोगो की आस्था ही है जिसके कारण पूरे गरियाबंद में जहा तक देखे भीड़ भीड़ नजर आ रही थी

◆ सजा हुआ बाजार , झूले बने आकर्षक का केंद्र

मेला समिति के तत्वावधान में आयोजित मेले में गांधी मैदान तिरंगा चौक ले कर गायत्री मंदिर तक दुकाने सजी हुई है ख़ास कर लाइटिंग से सजा हूँ मीना बाज़ार आकर्षण का केंद्र बना हुआ है दूधिया रोशनी से नहाए गांधी चौक के आसपास के क्षेत्रों में गांधी मैदान मीना बाज़ार में लोगों मेले का आनंद लेने लगे । विभिन्न क्षेत्रों से आए कलाकारों ने कला के हुनर की शानदार प्रस्तुति दी। मिट्टी की कलाकृतियां सबसे आकर्षक हैं। कपड़े, बर्तन, सौंदर्य प्रसाद, गृहस्थी आदि के सामानों पर लोगों ने खरीदारी की। गुड़ की मिठाई जमकर बिकी। चाट फुल्की और समोसे के स्टालों पर लोगों की भीड़ लगी थी।

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◆ सालो पुराना इतिहास, है गरियाबंद की मड़ई

शहर का सबसे पुराना व पहला मड़ई मेला चंडी चौक में शुक्रवार से लगा। जानकारों के अनुसार मड़ई मेलों का आयोजन सदियों से हो रही है
गरियाबंद में चंडी चौक से मड़ई मेले की शुरुआत होती है। उसके बाद भूतेश्वरनाथ चौक और शारदा चौक में पूजा किया जाएगा । इस मेले में शहर एवं ग्रामीण क्षेत्र के दुकानदारों को ख़ास सुविधाएं दी जाती हैं। ये
खास बात है कि दुकानदारों की दूसरी पीढ़ी भी यहां आई है।

मेले में नवयुवकों की टीम ने लोगों की सुविधाओं पर ध्यान दिया। इस आयोजन इसका उद्देश्य स्थानीय व्यापारियों, छोटे दुकानदारों, फेरी वालों को रोजगार देना था। इसमेें सामाजिक मेलजोल को बढ़ाना भी शामिल था। मड़ई मेलों की सूचना महीनों पहले आसपास के गांवों, जिलों में दे दी जाती थी।

यह एक तरह से संस्कृति संगम स्थल हुआ करता था। इसमें व्यापारी, आमजन और साहूकार भी शामिल होते थे। वे अपने अपने क्षेत्रों के उत्पाद, हस्तशिल्प, संस्कृति से जुड़े गीत-संगीत आदि का प्रदर्शन करते है । मेले के चलते यहां का बाजार बहुत ज्यादा चलता है। ये रिश्ते जोडऩे का माध्यम भी बनते है

◆ कोरोना काल सिथिल होने के बाद यह बड़ा आयोजन

लगातार कोरोना का कहर झेलने के बाद हर कोई उब गया था , ऐसे में अब स्थिति सामान्य होने के बाद , जिला मुख्यालय गरियाबंद में हो रहे मेला मड़ाई आस पास के गांव के अलावा अन्य जिले के लोग भी पहुंच रहे हैं
परिवार के साथ मनोरंजन , खरीदारी , झूला झूलते , खाते-पीते घूमते हुए मेले का आनंद उठा रहे हैं ,,, ऐसे में इस मेले का आनंद उठाने के लिए आप भी पीछे न रहे सह परिवार पहुंचे गरियाबंद मेला में जरूर पहुचे

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